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लेखनी कहानी -15-Nov-2022

हर शब्द कुछ  कहानी कहते
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ए कलम तुम ही तो हो जो सच मेरी सखी थी
साथ निभाए दर्द में आज भी तुम्हीं संग बड़ी थी।।
खता क्या थी मेरी सोचती , आज भी मैं अकसर
रूह से कर मोहब्बत संग तेरे मैं ही खड़ी थी।।

दर्द-ए चित्कार तुम मेरी क्यों सुन ना पाते हो
फ़रेब दे तोड़ा यकीं ना हुआ , मैं खुद से ही लड़ी थी।।

मेरे आंखों से झरते आंसू सवाल तुझसे पूछे हैं
कहां कमी रही मेरी वफ़ा मे , सोच ये आंखों में नमी थी।।

दर्द-ए जज़्बात मैं तो अपने , सबसे छुपाए बैठी
कलम मेरी अपनी होके भी जैसे , मेरी अपनी नही थी।।

हर एक शब्द उसकी ही कहानी कहते हैं
वीणा के सुरमई शब्दों में सुनी सबने , दर्द-ए रवानी थी
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3 Comments

Gunjan Kamal

16-Nov-2022 07:16 PM

बहुत ही सुन्दर

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Ayshu

16-Nov-2022 05:58 AM

Bahut khub

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Bahut khoob 🌸👌💐

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